अणुव्रत उदबोधन सप्ताह का तीसरा दिन साम्प्रदायिक सौहार्द दिवस के रूप में मनायाजसोल –

03.10.2025ओसवाल समाज भवन में आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वीश्री रतिप्रभा जी के सान्निध्य में अणुव्रत समिति जसोल के तत्वावधान में सर्वधर्म समन्वय कार्यक्रम रखा गया।साध्वीश्री रतिप्रभा जी ने कहा कि साम्प्रदायिक कहरता ने धर्म को चार दिवारी के कठघरे में बांध दिया है। धर्म के नाम पर युद्ध, दंगे लड़ाई वैभनस्य आदि अनेक समस्याओं से मानव समाज का उत्पीड़न होता है। भगवान महावीर ने कहा “एका माणुस्स जाई” मनुष्य जाति सब एक है। कौन हिन्दू कौन मुस्लिम, कौम सिख सरदार ! चीरकर देखो सभी मे, एक खून की धार है !!आचार्य श्री तुलसी ने कहा पहले इंसान इंसान – फिर हिन्दू या मुसलमान। साम्प्रदायिक सौहार्द के लिए आचार्य श्री तुलसी ने अणुव्रत आंदोलन का प्रवर्तन किया। हर सम्प्रदाय, हर गुरु, हर मजहब से मिले एवं धर्म के सार्वभौम स्वरूप की व्याख्या बताते हुए युग को नया पाथेय प्रदान किया।साध्वीश्री कलाप्रभा जी ने कहा कि आज मानव अपने स्वार्थ के घेरे में घूम रहा है। में पियूँ और मेरा बेल पीए बाकी कुआ ढल पड़े वाली बात हो रही है। साम्प्रदायिक सौहार्द तो बड़ी बात है अपने परिवार अपने साथी के साथी के साथ भी अच्छा सौहार्द रखे। जीवन सफल बनेगा। अनेको धर्मो में अहिंसा का सिद्धांत महत्वपूर्ण बिंदु है। राहें अलग अलग पर एक ही मंजिल है। अतः सभी धर्मावलंबी प्रेम सौहार्द के साथ अहिंसा की बात कहें और एक दूसरे व्यक्ति के हित चितंक बने। साध्वीश्री पावनयशा जी ने कहा अणुव्रत आंदोलन का दूसरा दिवस साम्प्रदायिक सौहार्द जो हमे प्रेरणा देता है कि एक दूसरे भाई – चारा, सुख -दुःख में सहयोगी बने। मानवीय गुणों के विकास के लिए नैतिकता, मैत्री, स्नेह का पुर जरूर हो। हमारी धार्मिकता एक दूसरे में विरोध नही करेगी।