लोक सभा अध्यक्ष ने आईआईटी जोधपुर में अत्याधुनिक लेक्चर हॉल का किया उद्घाटन

नौजवानों की क्षमता से भारत बन रहा वैश्विक नेतृत्व का केंद्र, ‘विकसित भारत’ की यात्रा में युवाओं की सक्रिय भागीदारी जरूरी : लोक सभा अध्यक्ष
आधुनिक विज्ञान और आध्यात्मिक विरासत के समन्वय से भारत कर रहा वैश्विक मंच पर अग्रसरता
प्रत्येक कॉलेज और विश्वविद्यालय बने नवाचार व उत्कृष्टता का केंद्र, युवाओं में हो रचनात्मकता और समाधान क्षमता का विकास
जोधपुर/नई दिल्ली, 9 जून, 2025
लोक सभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला ने आज भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), जोधपुर में लेक्चर हॉल कॉम्प्लेक्स-II का उद्घाटन करते हुए कहा कि भारत अपने युवाओं की अद्वितीय क्षमता के चलते वैश्विक नेतृत्व की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि भारत का युवा अब केवल रोजगार ढूंढने वाला नहीं बल्कि रोजगार देने वाला बन चुका है, जो स्टार्टअप और नवाचार के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था को गति दे रहा है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री बिरला ने कहा कि भारत आधुनिक विज्ञान और अपनी समृद्ध आध्यात्मिक परंपरा की शक्तियों को समाहित करते हुए वैश्विक मंच पर एक संतुलित, नैतिक और चिरस्थायी विकास मॉडल प्रस्तुत कर रहा है। उन्होंने छात्रों और युवाओं से आग्रह किया कि वे ‘विकसित भारत’ की यात्रा में सक्रिय भागीदार बनें और तकनीक एवं ज्ञान का उपयोग समाजोत्थान के लिए करें।
लोक सभा अध्यक्ष ने कहा कि भारत के तकनीकी संस्थान विशेषकर आईआईटी जैसे संस्थान देश के डिजिटल इकोसिस्टम और आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को सशक्त बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि आईआईटी से निकले युवाओं ने न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है।
इस अवसर पर श्री बिरला ने आईआईटी जोधपुर की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह संस्थान मरुस्थलीय क्षेत्र में परिवर्तन का वाहक बना है, जो युवाओं को वैश्विक गुणवत्ता की शिक्षा, शोध और नवाचार की सुविधा देकर उन्हें सशक्त बना रहा है। उन्होंने ‘रिसर्च इनिशिएटिव ग्रांट’ का वितरण भी किया, जिससे नवाचार संबंधी परियोजनाओं को प्रोत्साहन मिलेगा, साथ ही संस्थान की नई वेबसाइट का शुभारंभ किया और परिसर में पौधारोपण भी किया।
श्री बिरला ने जोर दिया कि देश के सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को पारंपरिक शिक्षा से आगे बढ़कर नवाचार और उत्कृष्टता के केंद्र बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि कॉलेज और विश्वविद्यालयों को ऐसी सोच विकसित करनी चाहिए जिससे छात्रों में न केवल ज्ञान बल्कि समस्या सुलझाने की योग्यता, उद्यमशीलता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा की तैयारी हो।
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