संवाद सामाजिक संस्थान ने प्रेस वार्ता कर बाल विवाह न करने के लिए किया जागरूक।

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लखनऊ: संवाद सामाजिक संस्थान ने अपने लखनऊ स्थित कार्यालय पर 29 अप्रैल 2025 को एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया। बताते चलें कि संवाद सामाजिक संस्थान एक स्वैच्छिक संगठन है जो विगत कई वर्षों से बाल अधिकारों के मुद्दों पर कार्यरत है। वर्तमान में संवाद सामाजिक संस्थान जस्ट राइट्स फ़ॉर चिल्ड्रेन अलायन्स के साथ बाल विवाह, बाल यौन शोषण व बाल मजदूरी, बाल तस्करी के मुद्दे पर कार्य कर रहा है। प्रेस वार्ता में आये पत्रकार बंधुओं से बात करते हुए संस्थान के सचिव अतुल तिवारी ने बताया कि आगामी 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया के पर्व मनाया जाने है जो कि विवाह के लिए एक अच्छा मुहूर्त माना जाता है। भारत में अक्षय तृतीया के अवसर पर बहुत बड़ी संख्या में वैवाहिक कार्यक्रम होते हैं। इसलिए इस दिन बाल विवाह होने की भी आशंका अधिक रहती है। इसलिये संवाद सामाजिक संस्थान और जस्ट राइट्स फ़ॉर चिल्ड्रेन अलायन्स के सहयोगी संगठन देश भर के अलग अलग जिलों में इस अवसर पर होने वाले संभावित बाल विवाहों को रोकने के लिए विवाह को सम्पन्न करवाने वाले सभी धर्मों के धर्मगुरुओं से यह अपील की है कि वह लोग ऐसे किसी विवाह को ना सम्पन्न करवाएं अथवा ऐसे किसी विवाह का हिस्सा ना बनें जिसमें वर वधू ने अपनी विवाह के लिए कानूनी उम्र पूरी ना की हो। अर्थात बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अंतर्गत निर्धारित किसी विवाह में लड़की की उम्र 18 वर्ष और लड़के की उम्र 21 वर्ष पूरी ना हो गयी हो। अतुल तिवारी ने इस मुहिम में सभी धर्मों के धर्मगुरुओं से साथ आकर इस मुहिम का हिस्सा बनने एवं बाल विवाह जैसी कुरीति को जड़ से खत्म करने में सहयोग प्रदान करने की अपील की है। इसके साथ ही विवाह में अपनी सेवाएं देने वाले सभी सेवाप्रदाताओं को भी यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह ऐसे किसी विवाह में अपनी सेवाएं ना दें जिसमें विवाह के बंधन में बंधने वाले दोनों पक्षों में से कोई एक अथवा दोनों ने अपनी विवाह की कानूनी उम्र पूरी न कर ली हो। एवं यदि ऐसा कोई मामला किसी के संज्ञान में आता है तो सभी लोग यह भी सुनिश्चित करें कि तुरंत उसकी शिकायत की जाए।
बाल विवाह के मामलों में दोषी पाए जाने पर 2 साल का कारावास अथवा 1 लाख रुपये जुर्माना अथवा दोनों से दण्डित किये जाने का प्रावधान है। बाल विवाह में शामिल प्रत्येक व्यक्ति जैसे विवाह संपन्न करवाने वाले धर्मगुरु, सेवा प्रदाता, माता-पिता, अभिभावक आदि को इसमें दोषी माना जाता है। इस प्रेस वार्ता में विभिन्न समाचार पत्रों व चैनलों के पत्रकार व संवाद सामाजिक संस्थान के कार्यकर्ता मौजूद थे।

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