धर्मगुरु अचलानंद गिरी सैनाचार्य का आह्वान – वंदे गंगा: जल संरक्षण जन अभियान से जुड़ें, जल बचाएं, जीवन बचाएं

जोधपुर सहित पूरे राजस्थान में जल स्रोतों की सफाई, संरक्षण और वृक्षारोपण को बताया पुण्य कार्य
‘सरकार जो आज कर रही है वह भारत की संत परंपरा रही’ – अचलानंद गिरी सैनाचार्य
कुएं, बावड़ियां, तालाबों को स्वच्छ रखने और पेड़ लगाने की अपील, जोधपुरवासियों को दिया तन-मन-धन से सहयोग का संदेश
जोधपुर, 09 जून । राजस्थान सरकार द्वारा चलाए जा रहे वंदे गंगा: जल संरक्षण जन अभियान को लेकर जोधपुर के प्रख्यात धर्मगुरु अचलानंद गिरी सैनाचार्य ने सकारात्मक दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हुए भावपूर्ण संदेश दिया। उन्होंने कहा कि “भारत सरकार और राजस्थान सरकार ने गंगा और जल संरक्षण को लेकर जो कार्य आरंभ किया है, वह वास्तव में वही है जिसे हम संत परंपरा में युगों से करते आए हैं – कुओं, बावड़ियों, तालाबों की सफाई, जल को बचाना और पेड़ लगाना।”
उन्होंने आगे कहा कि “हमारे गांवों में लोग खुद माटी खोदकर तालाब बनाते रहे हैं, उन्हें स्वच्छ रखते आए हैं, यह परंपरा अब सरकार द्वारा अभियान के रूप में अपनाई गई है, जो स्वागत योग्य है। मेरा सभी से आग्रह है कि इस अभियान में तन-मन-धन से भाग लें, जैसे कभी ने गंगा भागी अभियान चला था।”
अचलानंद गिरी सैनाचार्य ने विशेष रूप से पचपदरा, बालोतरा और जोधपुर क्षेत्र में चल रही जल-संरक्षण गतिविधियों का उल्लेख करते हुए कहा कि “जोधपुर में कई भामाशाह और संस्थाएं इस पुनीत कार्य में जुट चुकी हैं। सभी को धन्यवाद देता हूं और निवेदन करता हूं कि अपने क्षेत्र के पुराने कुएं, बावड़ियां, तालाब और टांके स्वच्छ रखें, उन्हें बचाएं। यह केवल पर्यावरण या सरकार का नहीं, अपितु मानव जीवन की रक्षा का कार्य है।”
उन्होंने पेड़ लगाने, प्रकृति के शुद्ध वातावरण के लिए प्रयास करने, जंगली जानवरों के लिए खेलियां बनाने और वृक्षारोपण को अत्यंत आवश्यक बताया। साथ ही कहा कि यह अभियान केवल भौतिक नहीं, आध्यात्मिक दायित्व भी है।
धर्मगुरु ने अंत में कहा कि “मुख्यमंत्री जी द्वारा जो भी छोटे-बड़े तालाबों की संरक्षा के प्रयास किए जा रहे हैं, वे सराहनीय हैं। हम सभी का कर्तव्य है कि इसमें अपनी आहुति दें, ताकि राजस्थान ही नहीं, पूरा देश हरियाली और खुशहाली की दिशा में बढ़ सके।”
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