जसोलधाम में त्रयोदशी पर भक्ति का ऐतिहासिक संगम, मंदिर संस्थान में आस्था, व्यवस्था और सेवा का उत्कृष्ट संगमत्रयोदशी पर विशेष पूजा-अर्चना, रात्रि जागरण का हुआ आयोजन

बालोतरा, जसोल। ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी के पावन अवसर पर जसोल स्थित श्री राणी भटियाणी मंदिर संस्थान (जसोलधाम) में आस्था का सैलाब उमड़ा, जिसने धार्मिक परंपराओं की गरिमा को एक नई ऊँचाई प्रदान की। लाखों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में यह आयोजन मंदिर संस्थान की सूझबूझ, समर्पण और अनुकरणीय प्रबंधन का जीवंत प्रमाण बना।
मंदिर संस्थान की प्रेरणादायी भूमिका
श्रद्धालुओं की इतनी बड़ी भीड़ के बावजूद समस्त व्यवस्थाएं सुघटित और अनुशासित रहीं, जिसका श्रेय मंदिर संस्थान की पूर्व तैयारी, सेवा-भाव और जिम्मेदार प्रबंधन को दर्शाता है। संस्थान द्वारा पूजा-पाठ से लेकर रात्रि जागरण तक हर गतिविधि को बेहद सुनियोजित ढंग से संपन्न करवाया गया। मां जसोल का सजा भव्य परिसर, दीपों से झिलमिलाता वातावरण और भक्ति से सराबोर कार्यक्रम, हर दृश्य ने श्रद्धालुओं को अध्यात्म से जोड़ा।
वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ विशेष पूजा
मंदिर संस्थान की ओर से त्रयोदशी के पावन दिन पर अल्पप्रभात में विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया गया। विद्वान पंडितों द्वारा वैदिक मंत्रोंच्चारण के साथ श्री राणीसा भटियाणीसा, श्री बायोसा, श्री सवाईसिंह जी, श्री लाल बन्नासा, श्री खेतलाजी एवं काला-गौरा भैरवजी के मंदिरों में विधिवत पूजा की गई।
सामाजिक समरसता का अनूठा उदाहरण
मंदिर संस्थान द्वारा आयोजित धार्मिक अनुष्ठानों के संचालनो ने सामाजिक समरसता का संदेश दिया। जसोल ग्राम सर्व समाज की कन्याओं का सामूहिक पूजन, सभी जाति-समुदायों के श्रद्धालुओं को समान भाव से भोजन परोसना और जल व्यवस्था इस बात का प्रमाण हैं कि जसोलधाम आस्था के केंद्र के साथ-साथ सामाजिक एकता का भी केंद्र है।
रात्रि जागरण में भक्तिरस की गूंज
संस्थान द्वारा आयोजित रात्रि जागरण (भजन संध्या) ने श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक उर्जा से भर दिया। जसोल ग्राम के स्थानीय भजन गायकों की प्रस्तुतियों ने वातावरण को भक्ति रस में डुबो दिया। जय मां जसोल एवं मां माजीसा की जय के जयकारों से गुंजायमान ध्वनि ने साक्षात ऊर्जा और श्रद्धा का अनुभव भक्तों को करवाया।
मंदिर संस्थान की व्यवस्थाएं
मंदिर संस्थान की और से सुरक्षा की दृष्टि से सीसीटीवी कैमरों से निगरानी, अनाउसमेंट सिस्टम, मिस्ट कूलिंग सिस्टम, ट्रैफिक व्यवस्था, भीड़ नियंत्रण प्रणाली, प्रसाद चढ़ाने की उचित व्यवस्था, गोल्फ कार्ट सुविधा और शीतल पेयजल जैसी व्यवस्थाओं को जिस कुशलता से किया गया, वह एक आदर्श मॉडल प्रस्तुत करता है। संस्थान के सेवकों और समर्पित कार्यकर्ताओं की सेवा भावना ने यह सुनिश्चित किया कि श्रद्धालु केवल दर्शन व भक्ति में रमे रहें और उन्हें किसी भी प्रकार की असुविधा का अनुभव न हो।