राष्ट्र सर्वोपरि: विवाह के कार्यक्रमों को टाल कर देशभक्ति का जीता-जागता उदाहरण बने स्वयंसेवक

जोधपुर | जब दुनिया अपने जीवन के सबसे ख़ास लम्हों को सहेजने में लगी होती है, तब कोई एक व्यक्ति ऐसा भी होता है जो अपने सबसे प्रिय क्षणों को छोड़कर मातृभूमि की रक्षा में खड़ा हो जाता है। ऐसा ही एक नाम है — अजय सिंह सांसी, जोधपुर के रातानाड़ा स्थित सांसी कॉलोनी निवासी, जिन्होंने राष्ट्र प्रथम की भावना को न केवल शब्दों में, बल्कि कर्मों में साकार कर दिखाया।
देश इन दिनों सुरक्षा के लिहाज से बेहद संवेदनशील दौर से गुजर रहा है। हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पाहलगांव में हुई घटनाओं ने पूरे देश को सतर्क कर दिया है। इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने 7 मई बुधवार को देशभर में युद्ध स्तर की मॉक ड्रिल आयोजित की है, जिसमें नागरिकों, प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों की तैयारियों की गहन समीक्षा की जाएगी।
संयोगवश, अजय सिंह सांसी का विवाह समारोह बुधवार 7 मई से घृतपान और बान बैठने की परंपरा के साथ आरंभ होना था। लेकिन जब उन्हें यह जानकारी मिली कि उसी दिन उनकी मातृभूमि एक व्यापक सुरक्षा अभ्यास से गुजर रही है, तो उन्होंने अपने कार्यक्रम आगामी दिन के लिए स्थगित करने का साहसिक और अद्भुत निर्णय लिया।
अजय सिंह सांसी ने कहा “मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का स्वयंसेवक हूं, मेरे लिए राष्ट्र सबसे ऊपर है। विवाह मेरे जीवन का एक सुंदर सपना है, पर देश की सुरक्षा मेरा धर्म है। अगर मैं आज अपने कर्तव्यों से पीछे हट जाऊं, तो मेरे इस विवाह का क्या मूल्य रह जाएगा?”
अजय सिंह का यह निर्णय न केवल उनके परिवार के लिए भावुक क्षण लेकर आया, बल्कि पूरे समाज में एक गर्व की अनुभूति फैल गई। विवाह की तैयारियाँ पूरी हो चुकी थीं – घर में मेहंदी की खुशबू, गीतों की गूंज और रिश्तेदारों की हलचल थी, लेकिन राष्ट्र के प्रति प्रेम ने इन सब पर विजय पा ली।
उनका यह समर्पण एक प्रेरणा है उन सभी युवाओं के लिए जो कभी-कभी देश के प्रति अपने कर्तव्यों को भूल जाते हैं। अजय ने यह सिद्ध कर दिया कि देशभक्ति केवल वर्दी पहनकर ही नहीं, बल्कि जीवन के हर मोड़ पर सही निर्णय लेकर भी निभाई जाती है।
यह निर्णय केवल एक विवाह के कार्यक्रम को स्थगन नहीं, बल्कि एक युगांतकारी विचार का पुनर्जन्म है – कि जब राष्ट्र पुकारे, तो अपने सबसे निजी सुखों का त्याग करना ही सच्चा सेवक का धर्म है। अजय सिंह सांसी आज एक व्यक्ति नहीं, बल्कि राष्ट्रभक्ति के प्रतीक बनकर उभरे हैं।