पेट के कैंसर की जटिलता से बचने का उपाय: शुरुआती पहचान और सही उपचार

 पेट के कैंसर की जटिलता से बचने का उपाय: शुरुआती पहचान और सही उपचार
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झांसी! गैस्ट्रिक कैंसर, जिसे पेट का कैंसर भी कहा जाता है, एक गंभीर समस्या है जो पेट की अंदरूनी परत से शुरू होती है और तेजी से फैलने की क्षमता रखती है। इसके शुरुआती लक्षण अक्सर हल्के और अस्पष्ट होते हैं, जिससे इसका निदान करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है सामान्य लक्षणों में लगातार पेट दर्द, निगलने में कठिनाई, बिना किसी स्पष्ट कारण के वजन घटने, थोड़ी मात्रा में खाने के बाद भी जल्दी भरा हुआ महसूस करना और लंबे समय तक चलने वाली अपच या एसिडिटी शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, मिचली, उल्टी (कभी-कभी खून के साथ), और एनीमिया के कारण थकान जैसे लक्षण भी हो सकते हैं। यदि ये लक्षण कुछ सप्ताहों से अधिक समय तक बने रहते हैं, तो तत्काल चिकित्सा परामर्श लेना आवश्यक है गैस्ट्रिक कैंसर का शुरुआती मूल्यांकन गहन शारीरिक परीक्षण और रोगी के इतिहास की समीक्षा से शुरू होता है। ऊपरी गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल एंडोस्कोपी और बायोप्सी आमतौर पर निदान की पुष्टि के लिए की जाती है। निदान के बाद, बीमारी के फैलाव का पता लगाने के लिए पूरे शरीर का PET CT किया जाता है। यदि बीमारी मेटास्टेटिक होती है, तो इसे मुख्य रूप से कीमोथेरेपी और इम्यूनोथेरेपी से प्रबंधित किया जाता है मैक्स हॉस्पिटल, वैशाली के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी(जीआई और एचपीबी) विभाग के वरिष्ठ निदेशक डॉ विवेक मंगला ने बताया कि “गैस्ट्रिक कैंसर के शुरुआती निदान का महत्व इसलिए अधिक है क्योंकि यह उपचार के परिणामों को सीधे प्रभावित करता है। जब इस बीमारी का पता समय पर लग जाता है, तो हम इसे अक्सर पूरी तरह से ठीक कर सकते हैं। लेकिन अगर देरी होती है, तो उपचार की प्रक्रिया जटिल और कम प्रभावी हो जाती है। हर व्यक्ति को पेट की समस्याओं को हल्के में नहीं लेना चाहिए और लक्षणों के लंबे समय तक बने रहने पर विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए।”

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