समराथल फाउंडेशन के बैनर तले आयोजित शैक्षिक संगोष्ठी का समापन

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समाज के जरूरतमंद बच्चों की उच्च शिक्षा लिए विश्वास की नई डोर: समराथल फाउंडेशन

जोधपुर। समराथल फाउंडेशन सोसाइटी द्वारा बिश्नोई समाज के शिक्षकों के लिए आयोजित सेमिनार में कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में उद्बोधन देते हुए सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य एवं फलोदी के विधायक श्री पब्बाराम बिश्नोई ने कहा कि समराथल फाउंडेशन द्वारा समाज के जरूरतमंद बच्चों की रोजगारोन्मुखी उच्च शिक्षा के लिए किए जा रहे प्रयास पर समाज का बढ़ता विश्वास जरूरतमंद बच्चों के लिए विश्वास की नई डोर है। यह एक अलग प्रकल्प है और यहां पर आकर व्यक्ति अलग तरीके से सोचने के लिए मजबूर होता है। शिक्षक ही समाज को नई दिशा दे सकता है। समाज में पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने,नशे को दूर करने, सामाजिक कुरीतियों को दूर करने में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि सभी शिक्षक प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से समराथल फाउंडेशन से जुड़ें और समाज में एक बौद्धिक क्रांति का आह्वान करें तभी समाज का सर्वांगीण विकास संभव हो सकेगा। विश्नोई ने कहा कि समाज के युवाओं को नई दिशा देने के लिए शिक्षा के साथ-साथ खेल एवं अन्य गतिविधियों पर भी ध्यान देना आवश्यक है। कार्यक्रम के प्रथम सत्र को संबोधित करते हुए आचार्य सच्चिदानंद ने कहा कि शिक्षक समाज का सुधार करने में सक्षम है इसलिए शिक्षक को हमेशा नवाचारों से जुड़ा रहना चाहिए। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के कला संकाय के डीन प्रो डॉ मंगलाराम बिश्नोई ने कहा कि शिक्षक चरित्र निर्माण की सबसे बड़ी धुरी है इसलिए शिक्षक को उत्तम चरित्र निर्माण हेतु स्वयं आदर्श प्रस्तुत करना चाहिए ताकि छात्र उनके आदर्शों पर चल सके। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए द्वितीय सत्र में स्वामी रामाचार्य ने कहा कि शिक्षक की गोद में प्रलय निर्माण दोनों एक साथ पलते हैं शिक्षक में वह शक्ति है जो आमूल चूल परिवर्तन करने में सक्षम है इसलिए आप सभी शिक्षकों को समराथल फाउंडेशन से जुड़कर के समाज सुधार में लग जाना चाहिए। कार्यक्रम के अध्यक्षीय उद्बोधन में संबोधित करते हुए वरिष्ठ आरएएस अधिकारी एवं समराथल फाउंडेशन के अध्यक्ष ओम प्रकाश बिश्नोई ने बताया कि समराथल फाउंडेशन समाज की जरूरतमंद एवं होनहार प्रतिभाओं के लिए सभी सुविधाओं से युक्त अध्यापन हेतु एक विशाल शिक्षा मंदिर का निर्माण जोधपुर में करने जा रहा है इसलिए इस शिक्षा मंदिर के निर्माण के लिए बिश्नोई समाज के प्रत्येक घर से अंशदान पहुंचना जरूरी है ताकि यह प्रकल्प पूरे समाज के लिए फलीभूत हो सके। और इस कार्य को शिक्षक बहुत अच्छी तरीके से कर सकते हैं। उन्होंने शिक्षकों से यह आह्वान किया कि समाज में जरूरतमंद एवं होनहार प्रतिभाओं की पहचान करने और समाज के सुधार में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका है इसलिए उपस्थित शिक्षकों को फाउंडेशन से प्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष रूप से जुड़ने का उन्होंने आव्हान किया। जोधपुर के पॉलिटेक्निक कॉलेज में स्थित मारवाड़ कन्वेंशन सेंटर में आयोजित कार्यक्रम में बिश्नोई समाज के लगभग 1500 शिक्षकों ने भाग लिया। कार्यक्रम को जांभाणी साहित्य अकादमी के अध्यक्ष प्रो डॉ इंदिरा बिश्नोई, डॉ भल्लूराम खीचड़, एम्स के डॉ जीवन राम बिश्नोई, डॉ धर्मपाल, प्रो भगवानाराम, गुरु जंभेश्वर पर्यावरण संरक्षण शोधपीठ के अध्यक्ष ओपी बिश्नोई, इंजी भागीरथ बिश्रोई, सहित प्रथम एवं द्वितीय सत्र में 40 से अधिक शिक्षा के विशिष्ट क्षेत्र के विशेषज्ञ वक्ताओं ने संबोधित किया डॉ पुष्पेंद्र जाणी द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया। विभिन्न सत्रों में कार्यक्रम का संचालन जयप्रकाश खिलेरी, डॉ भंवरलाल उमरलाई, हंसराज खीचड़, श्याम बाबल, मंजू बिश्नोई, सुनीता बिश्नोई द्वारा किया गया। कार्यक्रम में सुखराम बीडिओ, प्रमोद जानी, कर्नल मनोहर राम भादू, डॉ तेजपाल राव, मेजर राजेंद्र, डॉ अशोक जांगू, मोहनलाल खिलेरी, शंकर सिंह खोखर, जगदीश खिलेरी,अर्जुन जानी, प्रदीप जानी, अर्जुन राम खीचड़ सहित बिश्नोई समाज के राजस्थान के विभिन्न जिलों से आए हुए शिक्षा विभाग के विभिन्न अधिकारी, शिक्षक एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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