सेकंड एंट्री बिल्डिंग की दूसरी मंजिल को प्लेटफॉर्म से जोड़ने की प्रक्रिया प्रारंभ

 सेकंड एंट्री बिल्डिंग की दूसरी मंजिल को प्लेटफॉर्म से जोड़ने की प्रक्रिया प्रारंभ
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-जोधपुर रेलवे स्टेशन का पुनर्विकास कार्य प्रगति पर
-प्रस्तावित सात में से पहले फुट ओवर ब्रिज के लिए गर्डर लांचिंग का काम पूरा
-सभी फुट ओवर ब्रिज पर मिलेगी लिफ्ट और एस्केलेटर्स की सुविधा
-एक किलोमीटर होगी एफओबी की लंबाई

जोधपुर। उत्तर पश्चिम रेलवे के जोधपुर रेलवे स्टेशन के चल रहे पुनर्विकास कार्य के अंतर्गत दूसरे प्रवेश द्वार की नई बिल्डिंग का ढांचागत निर्माण कार्य पूरा होने के पश्चात उसे फुट ओवर ब्रिजों के जरिए प्लेटफॉर्म मुख्य बिल्डिंग से जोड़ने की महत्वपूर्ण प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है।

जिसके तहत द्वितीय प्रवेश द्वार बिल्डिंग के सेकंड फ्लोर को नव निर्माणाधीन प्लेटफार्म संख्या-6 से जोड़ने वाले पहले फुट ओवर ब्रिज के लिए गर्डर लॉन्चिंग का बड़ा कार्य मंगलवार को पूरा करवा लिया गया है।

जोधपुर मंडल के डीआरएम अनुराग त्रिपाठी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि जोधपुर रेलवे स्टेशन का 474 करोड़ रुपए की लागत से सिरे से पुनर्विकास कार्य तेजी से कराया जा रहा है जिसके तहत जहां सेकंड एंट्री गेट की बिल्डिंग का ढांचागत निर्माण कार्य पूरा करवा लिया गया है वहीं उसे सभी प्लेटफार्म से कनेक्टिविटी देने का कार्य भी प्रारंभ कर दिया गया है।

उन्होंने बताया कि स्टेशन के मेगा फ्री डेवलपमेंट के अंतर्गत सेकंड एंट्री बिल्डिंग को मेन बिल्डिंग से जोड़ने के लिए कुल सात फुट ओवर ब्रिज का निर्माण कराया जाएगा जिनकी लंबाई लगभग 1 किलोमीटर होगी तथा बनने वाले इन सभी फुट ओवर ब्रिज से प्लेटफॉर्म पर यात्रियों के सुगम आवागमन हेतु लिफ्ट व एस्केलेटर्स पर्याप्त की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।

डीआरएम ने बताया कि बन रहे नव निर्माणाधीन एफओबी-1 की लंबाई लगभग एक किलोमीटर होगी जो सेकंड एंट्री स्टेशन बिल्डिंग की दूसरी मंजिल से निर्माणाधीन प्लेटफॉर्म 6 से कनेक्ट करेगा । इस पहले एफओबी की गर्डर लांचिंग सक्षम उच्चाधिकारियों की मौजूदगी में सुरक्षा के सभी मानकों का ध्यान रखते हुए कराई गई है तथा चरणबद्ध तरीके से अन्य एफओबी का निर्माण कराया जाना है।

अत्यंत महत्वपूर्ण है गर्डर लॉन्चिंग प्रक्रिया

रेलवे स्टेशन पर बेहतर कनेक्टिविटी और सुरक्षा की दृष्टि से गर्डर लॉन्चिंग एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है क्योंकि यह यात्रियों को एक से दूसरे प्लेटफार्म तक सुरक्षित रूप से पहुंचाने की सुविधा देता है जिसके तहत भारी भारी भरकम गर्डर को रेलवे ट्रैक के ऊपर या बीच में स्थापित किया जाता है।

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