प्रगतिशील समाज को दिया नया विचार

 प्रगतिशील समाज को दिया नया विचार
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माणकलाव जोधपुर में स्मृतिशेष तुलसी पत्नी स्मृतिशेष श्रद्धेय सुखाराम जी भाटी का परिनिर्वाण 12 नवंबर 2024 को हुआ। स्मृतिशेष तुलसी का निधन 95 वर्ष की आयु में हुआ। परिवार ने माजी का अंतिम संखार बौद्ध रीति से किया गया। माजी का सपना था की समाज के लिए लाइब्रेरी और शिक्षण संस्थान बने। मेंन रोड के करोड़ों की प्लॉट में माता जी को वहीं समाधि दी गई और इनकी इच्छानुसार वही पर ध्यान केंद्र, लाइब्रेरी और शिक्षण संस्थान बनाया जाएगा। और बौद्ध परंपरा व माजी की अंतिम इच्छानुसार परिनिर्वाण के 3 दिन बाद 15 नवंबर 2024 को सम्पूर्ण परिवार संत राणाराम, झम्मू, रामु, हुक्माराम, हमीराराम, हिरा, बाया,भरत कुमार बौद्ध (चार बेटे चार बेटीया) सहित अचलाराम, चनणाराम, नैनाराम, रामचंद्र व सभी परिवारजनो ने एक मत होकर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। जिसमें दूर दराज के रिश्तेदार, प्रगतिशील समाज के लोगों, अनेक गांवों के सैंकड़ों लोगों एवं बौद्ध समाज के प्रतिनिधिमंडल, अधिकारियों, कर्मचारियों, विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
इस परिवार ने सामाजिक परिवर्तन की मिशाल पेश करते हुए सभी प्रकार की कुरीतियों का अंत किया तथा किसी भी प्रकार के पाखण्ड से सम्बन्धित कर्मकाण्डो को नकारते हुए राजस्थान मृत्युभोज अधिनियम का पालन करते हुए मृत्युभोज नहीं करने का निर्णय किया।
इस अवसर पर परिवार ने जोधपुर में बुद्ध विहार के लिए धम्मभूमि प्रतिनिधियों को 51000/ रूपये भेंट किए साथ ही अपनी माताजी की स्मृति में लाइब्रेरी और ध्यानकेंद्र निर्माण का प्रण लेते हुए उनकी याद को चिरस्थाई बनाने के लिए दो बोधिवृक्ष लगाये गये।
श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए अर्जुन मकवाना ने माताजी तुलसी के बारे में बताते हुए कहा की उन्होंने जीवन भर जातिवाद को खत्म करने के लिए प्रयास किया। और अपने जीवन के अंतिम क्षण (95 वर्ष) तक हर्षोल्लास से जीवन जिया। अंधविश्वास और पाखंड मुक्त रहते हुए व महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लेकर सभ्य समाज के निर्माण के लिए जीवंत पर्यंत कार्य करते रहे।
धम्मभूमि के प्रतिनिधि कुमार गौतम, धम्म प्रकाश बौद्ध, बी एल गैंवा, कीर्ति वर्धन रतिराम सपुनिया मगराज कटारिया एडवोकेट किशन मेघवाल मोहनलाल पारखी भेराराम मकवाना गणपत मेहरा लीला बौद्ध इत्यादि ने इस परिवार का आभार प्रकट करते हुए बताया की परिवार का यह निर्णय बौद्ध धम्म की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। समाज में व्याप्त सामाजिक कुरीतियों को खत्म करने की दिशा में अनुकरणीय पहल की हैं।

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